نوید
نوشته شده توسط : اعظم خواجه اف - خجسته

صبح دمیده است

و روز نو ز رَه رسیده است

شمیم یاد دلبری چو عطر اختران

به مویه-مویه های عالم سکوت من دویده است.

درخت بی نوای پیکرم جوانه ها زده به شاخ برگ تر

نوید سبز بودنم دگر ز باغ ها رسیده است

بنفشه زار گشته دل به موسم خزان 

و عالم نوین خریده است

کسی ندیده است.

Субҳ дамидааст

Ва рузи нав зи раҳ расидааст

Шамими ёди дилбаре чу атри ахтарон

Ба муя-муяҳои олами сукути ман давидааст

Дарахти бенавои пайкарам чавонаҳо зада, ба шоху барги тар

Навиди сабз буданам дигар зи боғҳо расидааст

Бунафшазор гашта дил ба мавсими хазон

 Ва олами навин харидааст

Касе надидааст





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تاریخ انتشار : شنبه 17 / 12 / 1389 | نظرات ()
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